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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१२], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [४४६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४४६] दीप अनुक्रम [५३९] ॥ एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति । नेरयाणं भंते ! केवतिया ओ. पोग्गलपरिपहा अतीता?, गोयमा||१२ शतके प्रज्ञप्तिः | अनंता, केवइया पुरेक्खडा ?, अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं बेउवियपोग्गलपरियट्टाचि एवं जाव || ४ उद्देशः अभयदेवी- आणापाणुपोग्गलपरियट्टा वेमाणियाणं, एवं एए पोहत्तिया सत्त चउच्चीसतिदंडगा ॥ एगमेगस्स णं भंते ! नेरदयस्स नेर० केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता, नस्थि एकोवि, केवतिया पुरेक्खडा, ४ ताधिकारः अ५६७॥ नस्थि एकोवि, एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा एवं चेव एवं जाव धणियकुमारसे जहा असुरकुमारत्ते । एगमेगरसणं भंते ! नेरइयस्स पुदविकाइयत्ते केवदतिया ओरालियपोग्गलपरियडा अतीता ?, अणंता, केवतिया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सद नस्थि जस्सस्थि तस्स जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते । एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइIX| यत्ते केवतिया अतीया ओरालियपोग्गलपरियट्टा एवं जहा नेरइयस्स चत्तवया भणिया तहा असुरकुमार-|| * स्सवि भाणियचा जाव वेमाणि, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि, एवं जाव वेमाणियस्स, ४ सबेसि एको गमो । एगमेगस्सणं भंते! नेरइयस्स नेर० केव. वेउ०पोग्गलपरियट्ठा अतीया,अणंता, केवतिया ॥५६७॥ ला पुरेक्खडा?, एकोत्तरिया जाव अणता, एवं जाव थणियकुमारत्ते, पुढवीकाइयत्ते पुच्छा, नथि एकोवि, केव-II तिया पुरेक्खडा?, नत्थि एकोदि, एवं जत्थ वेउवियसरीरं अत्थि तत्थ एगुत्तरिओ जत्थ नत्थि तत्थ जहा ~44
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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