SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 388
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१८], वर्ग -1, अंतर-शतक [-], उद्देशक [३], मूलं [६१८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६१८] दीप अनुक्रम [७२८] पुढविकाइप तहेव जाव अंतं करेति, एवं खलु अनो! कापलेसे आउफाइए जाब अतं करेति एवं खली। अजो! काउलेस्से यणस्सइकाइए जाव अंतं करेति, तर ते समणा मिया मागवियपुत्तस्स अणरिस्सा एबमाइक्खमाणस्स जाव एवं परवेमाणस्स पबमईनों सदहति ३ एपम? असद्दहमाणा ३ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति २ समर्ण भगवं महावीरं वदति नर्मसति र एवं क्यासी-एवं खलु भते । मागंदियपुरले अणगारे अम्हं एवमाइक्खति जाव परूवेति-एवं खलु अजी! काउलैस्से पुढविकाइए। जाप अंतं करेति, एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउकाइए जाव अंतं करेति, एक वणस्सइकाइएवि || DI जाप अंतं करेति, से कहमेयं भंते ! एवं?, अयोति समणे भगर्व महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतित एवं ययासी-जणं अजो मार्गदियपुसे अणमारे तुज्झे एवं आइक्खति जाव परूथेति-एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेति, एवं स्खल अजो ! काउलेस्से आउकाइए जाव अंतं करेति, एवं स्खलन अज्जो ! काउलेस्से वणस्सहकाइएवि जाय अंतं करेति, सचे णं एसम्मके, अहंपिणं आलो ! एकमाइवखामि एवं खलु अजो! कण्हलेसे पुढ० कण्हलेसेहितो पुडविकाइएहितो जाव अंतं करेति एवं खलु माडो नीला लेस्से पुरविका जाय अंतं करेति एवं काउलेस्सेवि जहा पुढविकाइए एवं आउकाइएवि एवं वणस्सइकाइएवि सणं एसमढे। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति समणा निग्गंधा समण भगवं महा० ० नमं०२ जेणेच | माकदिक-अनगारस्य लेश्या, कर्म-वेदना,निर्जरा,बन्ध इत्यादि सम्बन्धी प्रश्नोत्तराणि ~388
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy