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________________ आगम (०५) प्रत सूत्रांक [५८९ ] दीप अनुक्रम [६८९ -६९२] [भाग-१०] “भगवती”- अंगसूत्र -५ ( मूलं + वृत्ति:) शतक [१६], वर्ग [–], अंतर् शतक [ - ], उद्देशक [११-१४], मूलं [५८९] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र - [०५] अंगसूत्र- [ ०५] "भगवती” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २ ॥७१९॥ दशमेऽवधिरुक्तः, एकादशे त्ववधिमद्विशेष उच्यते इत्येवंसम्बन्धस्यास्येदमादिसूत्रम् - दीवकुमाराणं भंते! सबै समाहारा सबै समुस्सासनिस्सासा ?, णो तिणहे समट्टे, एवं जहा पदमसए वितियउद्देशए दीवकुमाराणं वत्तवया तब जाव समाउया समस्सासनिस्सासा । दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्साओ पन्नताओ ?, गोयमा ! चन्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा- कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा। एएसि णं ४ भंते । दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! | सवत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेज्जगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा विसेसाहिया । एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाणं जाब तेऊलेस्साण य कयरे २ हिंतो अप्पडिया या महहिया वा ?, गोयमा ! कण्हलेस्सा हिंतो नीललेस्सा महहिया जाव सबमहड्डीया तेउलेस्सा। सेवं भंते! सेवं भंते ! जाव विहरति ॥ उदहिकुमारा णं भंते! सबै समाहारा० एवं चेव, सेवं० ॥ १६-१२ ॥ एवं दिसाकुमारावि ।। १६-१३ ।। एवं धणियकुमाराऽचि, सेवं भंते सेवं भंते! जाव विहरह ॥ १६-१४ ॥ सोलसमं सयं समत्तं ॥ सूत्रं ५८९ ) ।। १६-१४ । 'दीवे'त्यादि ॥ एवमन्यदप्युद्देशकत्रयं पाठयितव्यमिति ॥ षोडशशतं वृत्तितः परिसमाप्तमिति ॥ सम्यकुश्रुताचारविवर्जितोऽप्यहं यदप्रकोपात्कृतवान् विचारणाम् । अविघ्नमेतां प्रति षोडशं शतं वाग्देवता सा भवताद्वरप्रदा ॥ १ ॥ Education Internation For Park Use Only अत्र षोडशमे शतके एकादशात् चतुर्दशः पर्यन्ता उद्देशका: परिसमाप्ताः तत् परिसमाप्ते षोडशकं उद्देशकः अपि परिसमाप्तः ~347~ १६ शतके उद्देशः १० अवधिः सू ५८८ उद्देशः ११ द्वीपकुमाराः उ. उ. १२१३-१४ उदधिदिक स्तनिता सू ५८९ ॥७१९ ॥ waryru
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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