________________
आगम (०५)
[भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१६], वर्ग [-], अंतर-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [५८३-५८४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
[५८३
-५८४]
व्याख्या-1 छपिहा, अद्धासमयो नत्धि, सेस तं चेव सर्व निरवसेसं। लोगस्सणं भंते दाहिणिल्ले चरिमते किं जीवा०,एवं १९ शतके
चेव, एवं पचच्छिमिल्लेषि, उत्तरिल्लेवि, लोगस्स णं भंते ! उवरिल्ले चरिमंते किं जीवा० १ पुच्छा, गोयमा नो मज्ञप्तिः
उद्देशः अभयदेवी
लोकमहत्ता जीवा जीवदेसावि जाव अजीवपएसावि । जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य अहवा
चरमान्ताया वृत्तिः२ एगिदियदेसा च अणिदिय०दियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणि दियदेसा यत्रंदियाण य देसा, एवं दी जीवजी ॥७१४॥ मझिल्लविरहिओ जाप पंचिंदि०, जे जीवप्पएसा ते नियम एगिदियप्पएसा य अणिदियप्पएसा य अहवा, वदेशादि
एगिदियप्पएसा य अर्णिदियप्पएसा य दियस्सप्पदेसा य अहवा एगिदियपएसा य अणि दियप्पएसा य घेई- सू ५८३ दियाण य पएसा, एवं आदिल्लविरहिओ जाव पंचिंदियाणं, अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं॥ द लोगस्स गं भंते । रेडिल्ले चरिमंते किं जीवा० पुच्छा ?, गोयमा! नो जीवा जीवदेसावि जाव अजीवप्प-15
एसाथि, जे जीवदेसा से नियम एगिदियदेसा अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे अहवा एगिदियदेसा शाय बंदियाण य देसा एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदियाणं पदेसा आइल्लविरहिया सवेर्सि जहा पुरदच्छिमिले परिमंते तहेव, अजीवा जहेव प्रवरिले चरिमंते तहेव ॥ इमीसे णं भंते रपणपभाए पुढवीए
पुरच्छिमिल्ले चरिमंते किं जीवा.१ पुच्छा, गोयमानो जीवा एवं जहेव लोगस्स तहेव चत्तारिवि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव जहा दसमसए विमला दिसा तहेव निरवसेस, हेडिल्ले चरिमंते तहेव नवरं देसे पंचिं|दिएसु तियभंगोत्ति सेसं तं चेय, एवं जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरमंता भणिया एवं सकरप्पभाएवि उवरि-1
दीप अनुक्रम [६८३-६८४]
*64k
~337