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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१२], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [४३७-४३९] + गाथा पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४३७-४३९] मज्ञप्तिमा ॥५५४॥ गाथा व्याख्या- संति। तए णं समणे भगवं महावीरे तेर्सि समणोवासगाणं तीसे य धम्मकहा जाच आणाए आराहए १२ शतके भवति । तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हहतुट्टा | १ उद्देशः भमयदेवी उहाए उट्ठति ज०२ समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वं० २सा न०२त्ता जेणेच संखे समणोवासए प्रबुद्धावुद्धसुया वृत्तिः२ तेणेव उवागच्छन्ति २ संखं समणोवासयं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया ! हिज्जा अम्हेहिं अप्पणा चेव एवं दक्षजागरि काः सू४३९ MS वयासी-तुम्हे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं जाव चिहरिस्सामो, तए णं तुम पोसहसालाए जाच विहरिए सह तुम देवाणुप्पिया! अम्हं हीलसि, अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-|| भामा अजोतुज्झे संखं समणोवासगं हीलह निंदह खिंसह गरहह अवमन्नह, संखे णं समणोवासए पिय धम्मे चेव दधम्मे चेव सुदक्खुजागरियं जागरिए (सू०४३८)। भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भाव & महान०२ एवं वपासी-कइविहा णं भंते ! जागरिया पण्णता, गोयमा ! तिविहा जागरिया पण्ण-2 सा, तंजहा-बुद्धजागरिया अबुद्धजागरिया सुक्खुजागरिया, से केण एवं बु० तिविहा जागरिया पक्षणदत्तातंजहा-बुद्धजा०१अबुद्धजा०२ सुदक्खु०३१, गोयमा!जे इमे अरिहंता भगवंता उप्पन्ननाणदंसणधरा जहा ॥५५४॥ खंदए जाव सवन्नू सबदरिसी एएणं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया जाव गुत्तभचारी एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे समणोवासगा अभिग-12 दीप अनुक्रम [५२९-५३२] शंख नामक श्रमणोपासकस्य वृतांत, बुद्ध-आदि जागरिका ~18~
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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