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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१३], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [४७०-४७२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४७०-४७२] व्याख्या-ट काउलेस्सा उववनंति २१ केवइया कण्हपक्खिया उबवजंति ३? केवतिया सुक्कपक्खिया उववनंति ४ ? केव- १३ शतके प्रज्ञधिःतिया सन्नी उववजंति ५? केवतिया असन्नी उववज्जति ६ ? केवतिया भवसिद्धीया उव०७? केवतिया १ उद्देश: अभयदेवी- अभवसिद्धीया उवव०८? केवतिया आभिणिबोहियनाणी उव०९? केवइया सुयनाणी उव०१०१ केव-रलप्रभादिया वृत्तिः२ इया ओहिनाणी उववज्जति ११ ? केवइया मइअन्नाणी उवव०१२ ? केवइया सुयअन्नाणी उव० १३ ? केव-14 पूर ॥५९६॥ HD इया विम्भंगनाणी उवव०१४ ? केवइया चक्खुदंसणी उव०१५ ? केवइया अचक्खुदंसणी उवव०१६ केवड्या ओहिदसणी उवव०१७? केवइया आहारसन्नोवउत्ता उवव०१८ ? केवइया भयसन्नोवउत्ता उव०१९? केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उवव २०? केवइया परिग्गहसन्नोवउत्ता उवव०२१ ? केवड्या इत्थिवेयगा उवव० २२ ? केवइया पुरिसवेदगा उवव०२३ ? केवइया नपुंसगवेदगा उपव०२४ ? केवड्या कोहकसाई उवव०२५ ? जाव केवइया लोभकसायी उवव०२८ ? केवइया सोइंदियउवउत्ता उव. २९ १ जाव केवइया फासिदियोवउत्ता उब०३३ १ केवइया नोइंदियोवउत्ता उव० ३४ ? केवतिया मणजोगी उवव० ३५१ केवतिया बहजोगी उवव०३६१ केवतिया कायजोगी उवव.३७१ केवतिया सागारोवउत्ता उपच० ३८१| | केवतिया अणागारोवउत्ता उवव०३९२, गोषमा! इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयस-| हस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु जहनेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेना नेरइया उचव०, जह-||x नेणं एको घा दो वा तिन्नि वा उको संखेज्जा काउलेस्सा उव०, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि चा उफोसेणं ARMACISROCKS दीप अनुक्रम [५६३-५६६] DIL५९६॥ SAREarattin international रत्नप्रभा-आदि नरकेषु उत्पादः ~1024
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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