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“भगवती’- अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:]
___ शतक [-], वर्ग [-], अंतर्-शतक -], उद्देशक [-], मूलं [-] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५], अंगसूत्र- [०५] “भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
सुत्रांक [-]
MARWARYAAVARNAATARNANARWARIANNANNARYANAANANARia
॥ अहम् ॥ श्रीमत्सुधर्मस्वामिगणभृत्प्ररूपितं श्रीमद्गौतमगणधारिवाचनानुगतं श्रीमचन्द्रकुला
लङ्कारश्रीमदभयदेवसूरिसूत्रितविवरणयुतं
श्रीमद्भगवतीसूत्रम् । (प्रथमो विभागः) प्रकाशयित्री-श्रीमत्सुरतबन्दरवास्तव्यश्रेष्ठिवर्यमूलचन्द्रात्मजसुपुत्रोत्तमचन्द्राभयचन्द्रविहितपूर्ण
द्रव्यसाहाय्येन शाह वेणीचन्द्र सुरचन्द्रद्वारा श्रीआगमोदयसमितिः
दीप
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SARKANNNAWAINANAp
अनुक्रम
मुद्रित मोहमय्यां निर्णयसागरमुद्रणयन्त्रे रा. रा. रामचन्द्र येसू शेडगेवारा वीरसंवत् . २४४४ विक्रमसंवत्, १९७४
काइष्ट. १९१८ प्रतयः १००० पग्यं ३-४-.
सपाईनं रूप्यकत्रयं DUUUUUUUUUUUUNNMNMMMNUNUMUMANNS
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भगवती-[अगासूत्रस्य मूल "टाइटल पेज"