SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [ २८९ -२९०] दीप अनुक्रम [३६१ ३६२] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्ति: ] शतक [७], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [७], मूलं [ २८९ - २९०] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः | कामा । जीवाणं भंते ! कामा अजीवाणं कामा ?, गोधमा ! जीवाणं कामा नो अजीवाणं कामा, कति| विहा णं भंते! कामा पन्नता ? गोयमा ! दुविहा कामा पन्नता, तंजहा-सहा य रूवा य, रूवी भंते ! भोगा अरूबी भोगा ?, गोयमा ! रूवी भोगा नो अरूबी भोगा, सचिता भंते! भोगा अचित्ता भोगा ?, गोयमा ! सचित्तावि भोगा अचित्तावि भोगा, जीवा णं भंते! भोगा ? पुच्छा, गोयमा ! जीवावि भोगा अजीवावि भोगा, जीवाणं भंते! भोगा अजीवाणं भोगा !, गोयमा ! जीवाणं भोगा नो अजीवाणं भोगा, कतिविहा णं भंते ! भोगा पन्नता ? गोयमा ! तिविद्दा भोगा पत्ता तंजहा-गंधा रसा फासा । कतिवि हा णं भंते! कामभोगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कामभोगा पन्नत्ता, तंजहा-सहा रूवा गंधा रसा फासा । जीवा णं भंते । किं कामी भोगी ?, गोयमा ! जीवा कामीवि भोगीवि । से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्च जीवा कामीवि भोगीवि ?, गोयमा ! सोइंदियचक्खिदियाई पड़ञ्च कामी धार्णिदियजिभिदियफासिंदियाई पहुंच भोगी, से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव भोगीवि । नेरइया णं भंते । किं कामी भोगी ?, एवं चैव | एवं जाव धणियकुमारा । पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी भोगी, से केणद्वेणं जाव भोगी ?, गोथमा ! फासिंदियं पहुच से तेणद्वेणं जाव भोगी, एवं जाव वणस्स इकाइया, बेदिया एवं चैव नवरं जिभिदियफासिंदियाई पटुच्च भोगी, तेइंद्रियावि एवं चैव नवरं घाणिदिय जिन्भिदियफासिंदियाई पहुँच भोगी, चउरिंदियाणं पुच्छा गोयमा ! चउरिंदिया कामीवि भोगीवि, से केणट्टेणं जाव भोगीवि ?, गोयमा ! Educatin internationa For Parts Use Only ~61~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy