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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:] शतक [१०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [७-३४], मूलं [४०८] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: * प्रत सूत्रांक कहिन भंते ! उत्तरिल्लाणं एगोरुयमणुस्साणं एगोरुयदीवे नाम दीवे पन्नत्ते?, एवं जहा जीवाभिगमे तहेव १० शतके | निरवसेसं जाव सुद्धदंतदीवोत्ति, एए अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियवा सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति॥ ७-३४ (सूत्रं०४०८)॥१०-३४ ॥ दसमं सयं समत्तं ॥१०॥ उत्तरान्त द्वीपा: | 'कहिणं भंते ! उत्तरिल्लाण'मित्यादि । 'जहा जीवाभिगमे इत्ययमतिदेश:-पूर्वोक्तदाक्षिणात्यान्तरद्वीपवक्तव्यताs-18 मानुसारेणावगन्तव्यः॥ दशमशते चतुस्त्रिंशत्तम उद्देशकः समाप्तः॥ १०-३४ ॥ समाप्तं दशमं शतम् ॥१०॥ सू४०८ [४०८] HIKARANEWS इति गुरुजनशिक्षापार्श्वनाथप्रसादप्रस्ततरपतबद्वन्द्वसामर्थ्यमाप्य । दशमशतविचारमाधराय्येऽधिरूढा, शकुनिशिशुरिवाहं तुच्छबोधाङ्गकोऽपि ॥१॥ दीप अनुक्रम [४९३] ak%2*444454544% Sieos and rendered cateriadvante మళయక e dhadavanthandadiety ॥इति श्रीमदभयदेवसूरिवरविहितभगवतीवृत्तौ दशमं शतकं समाप्तम् ।। अत्र दशमे शतके 6-३४ उद्देशका: परिसमाप्ता: तत् समाप्ते दशम शतक अपि समाप्त ~457
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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