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________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [२७९] दीप अनुक्रम [३४९] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्तिः] शतक [७], वर्ग [-], अंतर् शतक [ - ], उद्देशक [३], मूलं [ २७९ ] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयंदेवी या वृत्तिः १ ॥१०१॥ गोयमा ! णो तिणट्टे समट्टे, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुवइ नेरइयाणं जा वेयणा न सा निखारा जा निजरा न सा वेयणा १, गोयमा ! मेरइयाणं कम्म वेदणा णोकम्म निजरा, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव न सा बेपणा, एवं जाव बेमाणियाणं । से नूणं भंते ! जं वेदसु तं निज्जरिंसु जं निज्जरिंसु तं वेदसु ?, णो तिणडे समठ्ठे, से केणणं भंते ! एवं बुचइ जं वेदेंसु नो तं निजरें जं निज्जरेंसु नो तं वेदसु ?, गोयमा ! कम्मं वेदेंसुनोकम्मं निजरिंसु, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेंसु, नेरइया णं भंते । जं वेदसु तं निज्जरिंसु । एवं नेरइयावि एवं जाव बेमाणिया । से नूणं भंते ! जं वेदेति तं निजरेंति जं निज्जरिंति तं वेदति ?, गोयमा ! णो तिणट्टे समहे, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुचड़ जाव नो तं वेदति १, गोयमा ! कम्मं वेति नोकम्मं निजरेंति, तेणद्वेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेति, एवं नेरइयावि जाव वैमाणिया । से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं निज़रिस्संति जं निज़रिस्संति तं वेदिस्संति ?, गोयमा ! णो तिणट्ठे समहे, से केणट्टेणं जाव णो तं वेदेस्संति ?, गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति नोकम्मं निज्जरिस्संति, से तेणद्वेणं जाव नो तं निज्जरिस्संति, एवं नेर| इयावि जाय बेमाणिया । से णूर्ण भंते । जे वेदणासमए से निजरासमए जे निजरासमए से वेदणासमए ?, नो तिणट्ठे समट्ठे, से केणद्वेणं भंते ! एवं वृच्चइ जे वेयणासमए न से निजरासमए जे निरासमए न से वेदणासमए ?, गोयमा । जं समयं वेदेति नो तं समयं निजरेंति जं समयं निजरेंति नो तं समयं वेदेति, अम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समय निज्जरेंति अन्ने से वेदणासमए अने से निज्वरासमए, से तेणद्वेर्ण जाव Education Internationa For Panalyse Only "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः ~ 44~ ७ शतके उद्देशः ३ लेश्याकर्म सू २७८ वेदनानिर्जरे सू २७९ ॥३०१ ॥
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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