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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [३४७] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३४७] दीप अनुक्रम [४२४] व्याख्या-13पडप्पन्नप्पयोगपचहए, सेसं सरीरबंधे ॥से किंतं सरीरप्पयोगवंधे, सरीरप्पयोगवंधे पंचविहे पन्नत्ते, ||८ शतके प्रज्ञप्तिः तंजहा-ओरालियसरीरप्पओगबंधे घेउवियसरीरप्पओगबंधे आहारगसरीरप्पओगबंधे तेयासरीरप्पयोगबंधे अभयदेवी- कम्मासरीरप्पयोगबंधे । ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ?, गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, | प्रयोगबया वृत्तिः१/तंजहा-एगिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे दियओ० जाच पंचिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे । पगिदिय न्धःसू३४७ ओरालियसरीरप्पयोगवंधे गंभंते ! कतिविहे पण्णते?, गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-पुढविक्काइय॥३९॥ पगिदिय० एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा ओगाहणसंठाणे ओरालियसरीरस्स तहा भाणियबो जाव पजत्तगन्भवतियमणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे य अपजत्तगन्भवतियमणूस. जाव बंधे य॥ ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं?, गोयमा! चीरियसजोगसद्दबयाए पमादपचया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च पडच ओरालियसरीरप्पयोगनामकम्मरस उदएणं ओरालियसरीरप्पयो। गबंधे ॥ एगिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं?, एवं चेव, पुढविकाइयएर्गिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, एवं बेइंदिया एवं तेइंदिया एवं चरिदियतिरिक्खजोणिय०, पंचिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते कस्स कम्मस्स उदएणं, एवं चेव, मणुस्स. ॥३९६॥ ॥पंचिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे गं भंते । कस्स कम्मस्स उदएणं, गोयमा ! वीरियसजोगसहवयाए |पमादपञ्चया जाव आउयं च पडच मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पयोगनामाए कम्मरस उदएणं ओरालि. प्रयोगबन्ध: एवं तस्य भेदा: ~2344
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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