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आगम [०५]
[भाग-९] “भगवती"-अंगस
शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [३४०-३४१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[३४०-३४१]
सपच्छाकहो ०२ नपुंसकपच्छणकडो बं०३ इत्थीपच्छाकडा बंधति ४ पुरिसपछाकडावि बंधति ५ नपुंस-18 गपच्छाकडावि पं०६ उदाहु इत्थिपच्छाकहो य पुरिसपच्छाकडो य बंधति ४ उदाहु इत्थीपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकहो य बंधा ४ उदाहु पुरिसपच्छाकहो य णपुंसगपच्छाकहो य पंधा ४ उदाह इत्थिपच्छाक-1 डोय पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य भाणियचं ८, एवं एते छवीसं भंगा २६ जाव उदाहु इत्थी-18 | पच्छाकडा यं पुरिसप० नपुंसकप. चंति, गोयमा ! इत्थिपच्छाकडोवि बंधह १ पुरिसपच्छाकडोचि०२]
नपुंसगपच्छाकडोचि ०३ इत्थीपच्छाकहावि ०४ पुरिसपच्छाकडाधि पं०५नपुंसकपच्छाकहावि ०६|| ४ अहवा इत्थीपच्छाकडा पुरिसपच्छाकडो य बंधइ ७ एवं एए चेव छपीसं भंगा भाणियचा, जाव अहवा
इस्थिपकछाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति ॥ तं भंते ! कि पंधी बंधा बंधिस्सह १
पंधी पंधइन पंधिस्सइ २बंधी न बंधा बंधिस्सइ ३ घंधी न बंधइन बंधिस्सह ४ न बंधी बंधइ बंधिस्सह ५ सन पंधी पंधान पंधिस्सह ६ न बंधी न बंधा बंधिस्सइन बंधी न बंधइन बंधिस्सह ८१, गोयमा! भवा
गरिसं पडुच्च अत्धेगतिए बंधी बंधह बंधिस्सह अत्थेगतिए बंधी बंधइन बंधिस्सइ, एवं तं चेव सर्व जाव अत्थेगतिए म पंधी न बंधइ न बंधिस्सह, गहणागरिसं पहुंचे अत्धेगतिए बंधी बंधा बंधिस्सह एवं जाव | अत्धेगतिए न बंधी बंधद पंधिस्सइ, णो चेव णं न बंधी बंधइन पंधिस्सइ, अस्धेगतिए न पंधी न बंघहबंधि-18/ स्सइ अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ॥ तं भंते ! किं साइयं सपज्जवसिय संघद साइयं अपज्जवसि
दीप अनुक्रम [४१३४१४]
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बन्ध: एवं बन्धस्य भेदा:
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