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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [२], मूलं [३२२-३२३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: % प्रत सूत्रांक [३२२३२३] %A5 सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिगए भाचे आघवेति तं चेव । विभंगणाणस्त भंते ! केवतिए विसर पणते ?, गोयमा ! से समासओ चउविहे पण्णते, तंजहा-दवओ ४, दवाओणं विभंगनाणी विभममाणपरिगयाई दवाई जाण पासह, एवं जाव भावओ गं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणा पासह (सर्व३२२) णाणी ण भंते ! गाणीति कालओ केवञ्चिरं होइ ?, गोयमा! नाणी दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-साइए वा अपजवसिए साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपजबसिए से जहन्नेणं अंतोमुलुत्तं उक्कोसेणं छावहिं सागरोवमाई सातिरेगाई। आभिणियोहियणाणी णं भंते ! आभिणियोहिय० एवंनाणी आभिणियोहियनाणी जाव केवल-2 नाणी । अन्नाणी माइअनाणी सुपअन्नाणी विभंगनाणी, एएसिं दसहवि संचिट्ठणा जहा कापठिए ॥8॥ अंतरं सर्व जहा जीवाभिगमे ॥ अप्पाबहुगाणि तिनि जहा बहुवत्तषयाए ॥ केवतिया णं भंते !! आभिणियोहियणाणपज्जया पण्णता ?, गोयमा ! अणंता आभिणियोहियणाणपजवा पण्णत्ता । केवतिया णं || भंते ! सुयनाणपजवा पपणत्ता, एवं चेव एवं जाव केवलनाणस्स । एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स, केवतिया णं भंते ! विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता?, गोयमा ! अणंता विभंगनाणपल्लवा पण्णत्ता, एएसिणं भंते! आभिणियोहियनाणपज्जवाणं सुयनाण. ओहिनाण. मणपज्जवनाण केवलनाणपज्जवाण य कयरे २ जाव ४ विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सबथोवा मणपज्जवनाणपजवा ओहिनाणपजवा अणंतगुणा सुयनाणपज्जवा अर्णतगुणा आभिणिचोहियनाणपजवा अणंतगुणा केवलनाणपजवा अणंतगुणा ॥ एएसिणं भंते ! मइअन्ना दीप अनुक्रम [३९५-३९६] 25%84%434% * ~155
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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