SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [२], मूलं [३२०] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३२०] दीप अनुक्रम [३९३] व्याख्या- गोयमा! तिपिहा पण्णता, तंजहा-सम्मईसणलही मिफादसणलद्धी सम्मामिछादसणलदी। परि-8 शतक सलीम भले! कत्तिविहा पण्णसा, मोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-सामाझ्यचरित्तलखी छेदोषट्ठा- उद्देशान अमयदेवी-18 | वणिपलद्धी परिहारषिसुद्धलद्धी सुहुमसंपरागलद्धी अहक्खायचरित्सलद्धी । चरिसाचरित्तलद्धी णे भले ज्ञानादिलयावृत्तिः१८ कतिविद्या पणता, गोयमा! एगागारा पण्णत्ता, एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पन्नसा ॥ बीरियल-1|8|| कार सू ३२० द्धी गंभंते ! कत्तिविहा पण्णता, गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-बालवीरियलद्धी पंडियबीरियलद्धी ॥३४८॥ वालपजियवीरियलद्धी। इंदियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णता?, गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, संजहाद्र सोइंदिवलद्धी जाव फासिंदियलद्धी ॥ नाणलद्धिया भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी, गोषमा! नाणी नो अन्नाणी, अत्गतिथा दुन्नाणी, एवं पंच नाणाई भयणाए । तस्स अलीया गं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी, गोयमानो नाणी अनाणी, अत्धेगतिया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए । आभिप्राणियोहियणाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा नाणी नो अनाणी, अत्धेगतिया 8 दुनाणी चत्तारि नाणाई भयणाए । तस्स अलद्धिया गंभंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी, गोयमा! नाणीवित अनाणीवि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्धेगइया दुअन्नाणी तिनि अनादाणाई भयणाए। एवं सुयनाणलीयावि, तस्स अलद्धीयावि जहा आभिणियोहियनाणस्स लदीया। ओहि-18|| ॥३४८॥ नाणलद्धीया णं पुरुछा, गोयमा ! नाणी नो अनाणी, अत्धेगतिया तिन्नाणी अत्थेगतिया चउनाणी, जे | SARELaturintamational 'लब्धि'शब्दस्य अर्थ एवं भेदा:, ज्ञानादि अधिकार: ~138~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy