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________________ आगम (०५) [भाग- ८] "भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [२२१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२२१] दीप व्याया- सिया समए । जं तो ते सवेवि य अपएसा खेत्तओ अणवो ॥ २० ॥ दुपएसियाइएसुवि पएसपरिवटिएम ठाणेसु । लब्भइ इकिको चिय|४|| ५ शतके प्रज्ञप्तिः रासी खेतापएसाणं ॥ २१ ॥ एतो खेत्ताएसेण चेव सपएसया असंखगुणः । एगपएसोगाढे मोतुं सेसावगाहणया ॥ २२ ॥ ते पुण दुपए- उद्देशः ८ अभयदेवी-15 सोगाहणाइया सबपोग्गला सेसा । ते य असंखेज्जगुणा अवगाहणठाणबाहुला ॥ २३ ॥ वषेण होति एतो सपएसा पोग्गला विरोसहिया || द्रव्यादिसया वृत्तिः | कालेण य भावेण य एमेव भवे बिसेसहिया ॥ २४ ॥ भावाईया वट्टा असंखगुणिया जमप्पएसाणं । तो सप्पएसयाणं खेसाइविसेसप- प्रदेशाप्रदे॥२४२॥ | रिबुड्डी ॥ २५ ॥ मीसाण संकर्म पइ सपएसा खेत्तओ असंखगुणा । भणिया सहाणे पुण थोवञ्चिय ते गहेयवा ॥ २६ ॥ खेत्तेण सप्प- शानामल्प|एमा थोबा दबढभावओ अहिया । सपएसप्पाबहुयं सट्टाणे अत्यओ एवं ॥ २७ ॥ पढम अपएसाणं वीयं पुण होइ सप्पएसाणं । तइयं सू२२१ पुण मीसाणं अप्पबटुं अत्यओ तिणि ॥ २८ ॥ठाणे ठाणे बहुइ भावाईणं जमप्पएसाणं । तं चिय भावाईणं परिभस्सति सप्पएसाणं | ॥ २९ ॥ अहवा खेत्ताईणं जमघ्पएसाग हायए कमसो। तं चिय खेत्ताईणं परिवह सप्पएसाणं ॥ ३०॥ अवरोपरप्पसिद्धा बुट्टी हाणी य होइ दोहपि । अपएससप्पएसाण पोग्गलाणं सलक्खणओ ॥ ३१॥ ते चेव ते चउहिबि जमुवचरिजंति पोग्गला दुविहा । तेण | ट्राउ बुट्टी हाणी तेसिं अण्णोण्णसंसिद्धा ॥ ३२ ॥ एएसिं रासीणं निदरिसणमिणं भणामि पञ्चक्खं । बुड्डी सबपोग्गल जायं तावाण लक्खाओ[8 *]॥ ३३ ॥ एकं च दो य पंच य दस य सहस्साई अप्पएसाणं । भावाईणं कमसो चउहवि जहोबइहाणं ॥ ३४ ॥ णउई पंचाणउई अड्डाउई तहेव नवनबई । एवइयाई सहस्साई सप्पएसाण विवरीयं ॥ ३५ ॥ एएसि जसंभवमस्थोवणयं करिज रासीणं । सम्भावओ य|२|| ॥२४२।। जाणिज ते अणंते जिणाभिहिए ॥ ३६॥ ॐ द्रव्ये प्रायेण व्यादिगुणा अनन्तगुणान्ताः कालकत्वादयो भवन्ति एकगुणकालकादयस्वल्पा इति भावः ॥३॥ अनुक्रम [२२] 6-4-%* द्रव्यादि प्रदेशानाम् अल्प-बहत्व ~497~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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