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________________ आगम (०५) [भाग- ८] "भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [9], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [१६२-१६३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१६२ -१६३] दीप अनुक्रम [१९१-१९२] व्याख्या-13 रूवाई जाणइ पासइ?, हंता, से भंते! किं तहाभाचं जाणइ पासइ अन्नहाभा जाणति पासति , गोयमा ३ शतके प्रज्ञप्तिः तहाभाव जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति, से केणद्वेणं भंते! एवं वुचइ ?, गोषमा ! तस्स णं | 81 अभयदेवी एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहणिता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणामि पासामि, से सम्यग्मि MER यावृत्तिा से दसणे अविवचासे भवति, से तेजटेणं गोयमा! एवं बुद्धति, बीओ आलावगो एवं चेव नवरं वाणार- मुदपातेत॥१९॥ सीए नगरीए समोहणा नेयब्बा रायगिहे नगरे स्वाईजाणइ पासइ । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अ-॥४थ्यातथ्यौपमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउब्वियल द्वीए ओहिनाणलडीए रायगिह नगरं वाणारसिं नगरिं च अंतराएगधौ सू १६२ महं जणवयवग्गं समोहए २ रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरिं तं च अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणा पासइ, हंता जा० पा०, से भंते ! किं तहाभाव जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ, गोयमा। |तहाभा जाणइ पा०, णो अन्नहाभावंजा पा०, से केणडेणं ? गोषमा तस्स णं एवं भवति-नो खलु एस रायगिहेणगरेणो खलु एस वाणारसी नगरी नो खलुएस अंतरा एगे जणवयवग्गे एस खलु ममं वीरियलद्धी| वेउब्बियलद्धी ओहिणाणलद्वी इवी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे लद्धे पसे अभिसमनागए से से दसणे अविवचासे भवति से तेणढणं गोयमा! एवं बुचति तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभा जाणति पासति । |अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एर्ग महंगामरूवं वा नगररूवं वा जाव सन्निवेसरूवं वा विकुवित्तए, णो तिगढे समढे, एवं विति ओवि आलावगो, णवरं बाहिरए पोग्गले परि ॥१९२॥ ~397~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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