SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०२) [भाग-4] “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र-२ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्तिः ) श्रुतस्कंध [२.], अध्ययन [२], उद्देशक [-], मूलं [३५], नियुक्ति: [१६८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-०२], अंग सूत्र-[०२] "सुत्रकृत्" मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३५]] सूत्रकृताङ्ग २श्रुतस्कग्धे शीला २ क्रियास्थानाध्य. अधर्मपक्षवन्तः शीयावृत्तिः ॥३२८॥ दीप अनुक्रम [६६७] आरंभसमारंभाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सवाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सवाओपयणपयावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सबाओ कुट्टणपिट्टणतजणताडणवहबंधपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावजीवाए, जे आवण्णे तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहिं कति ततो अप्पडिविरया जाबज्जीवाए, से जहाणामए केह पुरिसे कलममसरतिलमुग्गमासनिष्फावकुलस्थआलिसंदगपलिमंधगमादिएहिं अयंते कूरे मिच्छाद पउंजंति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवदृगलावगकवोतकपिंजलमियमहिसघराहगाहगोहकुम्मसिरिसिवमादिएहिं अयंते करे मिच्छादं पउंजंति, जाविय से बाहिरिया परिसा भवइ, तंजहा-दासे इ वा पेसे इ वा भयए हुवा भाइल्ले इ वा कम्मकरण इवा भोगपुरिसे इ वा तेर्सिपि य णं अन्नयरंसि वा अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दंड निवत्तेइ, तंजहा-इम दंडेह इमं मुंडेह इमं तज्जेह इमं तालेह इमं अदुयबंधणं करेह इमं नियलबंधणं करेह इमं हड्डिबंधणं करेह हम चारगबंधणं करेह इमं नियलजुयलसंकोधियमोडियं करेह इम हत्यछिन्नयं करेह इमं पायछिन्नयं करेह इमं कन्नछिण्णर्य करेह इमं नकओहसीसमुहछिन्नयं करेह बेयगछहियं अंगछहियं पक्वाफोडियं करेह इमं णयणुप्पाडियं करेह इमं दसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिन्भुप्पाडियं ओलंविषं करेह घसियं करेह घोलियं करेह सूलाइयं करेह सलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्रवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गिवहयंग कागणिमंसखाषियंग ॥३२८॥ ~187~
SR No.035004
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 04 Sootrakrut Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages392
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy