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पंच्योत्तरि बिंब निषो । कूरसीवाडइ आविरानेमि०५०॥ शांतिजिन तिहां परपीआ।अवर बिंब तिहां तेर ॥ नेमि०५१॥ कईआवाडइ वीरजी । प्रतिमा पंच उदार ॥नेमि० ॥५२॥ रायचंद संघवी वासुपूज्य । बिब चौद विचारि॥नेमि०॥५३॥ कल्हारवाडइ शांतिजी । बिंब पंचावन होइ ।नेमि०॥५४॥ दणायगवाडइ पढम जिण। सत्तरि जिनवर जोइ॥ नेमि०५५ धांधुलि पाटकि सुविधि जिन । एकोत्तरि जिनसागाने मि५६ ऊंचइ पाटकि पासजी। जिन नमुंत्रणइ ताहि॥ नेमि०५७ ।। सत्रागवाडइ जुहारीइ । बिंब नव तिहां पास॥ नेमि०॥५८॥ पुंनागवाडइ आवीइ । दस बिंब पासस्युं होइ । नेमि०६०॥ गोल्हवाडइ श्री पासजी। पडिमा पंच तिहां दीठ ॥नेमि०६१ बीजइ देहरइ त्रेवीसमु । पडिमा शत उगणीस ॥नेमि०॥२॥ रयणमय पडिमा एक वली । ठाकरसाहनइ गेहि ॥नेमि०६३ पास जिणंद तिहां दीठडा। पूगी मननी आस । नेमि० ॥६॥
॥ ढाल माई धन्न सुपन्न ॥ १८ ॥ पेषउ धउली परवई । मुनिसुव्रत जिन देव । बावन जिनपडिमा । सुर नर सारइ सेव । दूदा पारषि परि छइ। शांति जिणेसर राय ।
पंचइ जिन नमतां । मुख संपद सवि थाइ ॥६५॥ ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com