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________________ सरहीआ वाडइ ऋषभजिणेसरू । वीस जिनवर जुहार । दोसी वाडइं हटूनइ घरि । शांतिजिन दीठ रे सारा॥४१मू०॥ शांतिनाथनइ पाटकि। लिषमीदास देहरासरि जिनशांति। प्रतिमा बारइ पूजइ भावस्यु । टालइ भवनी भ्रांति ॥ ४२ मू० ॥ संघराजनइ घरि वामानंदन । पनर पडिमा रे तांहि । हेमा सरहीआघरि हिवइ आवीयात्रेवीसमउ जिन ध्याइ४३मू० छयालीसपडिमा अवर जुहारी । लीजइ भवनु रे लाह। शांतिमूरनि सयालीस वली अछइ । टालइ भवनु रे दाहा॥४४० पास कंबोईउ ते वलि जुहारीइ । सात ज पडिमा रे सार । कटकीआवाडइ रिसह ज पूजीड़। पंचावन जिन उदार॥४५मू० सेठि विमलदास घरि अजितजिणेसरू । चौदह जिन धन धना निरषु जिनजी हुईइ हरिषस्युं । तसु वली वाघ इ वन ॥४६ मू० आनावाडइ रंगई आवीइ । दीउला श्रीजिन नेमि । प्रतिमा चुत्रीस भावई पूजीइ । जिम पामउ सविषेम ॥४७मू०॥ ॥ऋषभ घरि आवइ छइ ए ढाल ॥१७॥ आए सालवीवाडइ आवीइ । त्रसेरीआ वली मांहि । नेमि जिन जुहारउनी । राणीरायमइ बल्लहु । जीवदया प्रतिपाल | नेमि० ४८ आंचली।सत्यासी जिन पूजीइ । देहरइ श्रीजिनमल्लिानेमि ०४९ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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