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॥ ढाल ऊलालानउ ।। ६॥ पाटकि सहानइ ए आवी । आदि जिणंद तिहां भावी सत्यासी पडिमा ए देषी। रायसिंघ घरि शांति निरषी ॥ ४३ ॥ सत्तरि कंदी बिंब तिहां वंदी। पाप अढारइ निकंदी। कंसार वाडइ ए दीग । शीतल जिनवर बइठा ॥४४॥ द्वादश बिंब ए नमीआ । आठ महाभय ए शमीआ। बीजइ शांतिजिन पूज्या । बावीस पडिमाए बूझ्या ॥४५॥ सहा चांपानइ घरि । बिंब सोल देहरासरि। रयणमइविव बइ ठवीआं । चउथा सहा परि नमी॥४६॥ बंद्या पास जिणंद । चउवीस दीपइ दिणंद । भला वैद्यनइ पाटकि । चंद्रप्रभ दीपइ हाक ॥४७॥ प्रतिमा बइ नमी भावि । भइंसातवाडइ ए आदि । शांति जिनादिक छत्रीस । गोयमस्वामि मुणी श॥४८॥
॥ ढाल फागनउ ॥७॥ सहावाडइ हिवइं आवीइ भावीइ देव सुपास । पंच्यासी पडिमा नमी आवीइ देहरइ पास । सप्तफणामणिशोभित ओपित देह उदार । छसइ बारोत्तर भेटीइ मेटीइ पाप अढार ॥४१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com