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________________ ७३ सगरकू हवई जुहारी सारी पूजा पास । पडिमा वीस वंदी करो सेठि पुंजानइ वासि । ऋषभादिक जिन त्रीसह ए दीसइ महिमानिधान । जयचंदसेठिनई मंदिर सुंदर शांति प्रधान ॥ ५० ॥ तेत्रीस जिनवर निरषीआ हरषीआ भविअण सार । हिदपुर हवई जाई गाईइशत उदार । ऊपर पंच साह वली मेलो सयल जिणेश । पाटक मोढ २नइ ए सोहइ च्यारि दिनेश || ५१ ॥ ॥ कनक कमल पगलां ए ढाल ॥ ८ ॥ पाटक नारंगइ आवीआ ए । भावीआ पास जिणंद | नारिंग प्रभु भेटीइ ए । भेटई मंगल होइ । नारिंग प्रभु भेटी० ॥ चंद्रवदन तुह्मदेषत ए । हूउ हृदय उल्हास । नारिंग० ॥५३॥ सूरज कोडि थकी घणउं ए। दीपइ तेज प्रकाश नारिंग०५४ ॥ जई पदमा पामीर ए । नामहं आठ सिद्धि । नारिंग० ॥ ५५ ॥ बयालीस पडिमा परगडी ए । आव्या शोभी गेहि । नारिंग० ॥ ५६ ॥ त्रीस ऊपरि बइ सइवली ए । जुहारी मननइ भावि । नारिंग० ॥ ५७ ॥ सोनारवाड शांति नमुं ए । पडिमा चऊद उदार । नारिंग० ॥ ५८ ॥ www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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