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________________ १७ छतां केटलाक बनावो उपरथी एम कही शकाय के वर्तमान पाटण विक्रम संवत् १३६० अने १३७९नी वच्चे बसेलुं होवुं जोइये. पाटणनी 'जैन मंदिरावली' नी प्रस्तावनामां तेना लेख के जणावेलुं छे के— “अल्लाउद्दीनना वखतमां प्राचीन पाटणनो नाश थतां सं० १४२५ ना वर्षमां आ वर्तमान पाटण फरिथी वस्युं छे.” पण आमां जणावेली साल खरी होवामां शंका छे. संवत् १३५६ मां नाश पामेलं नगर बे पांच वर्षमां पार्छु न वसतां लगभग अर्धसदोथी पण अधिक समय पछी वसे ए वात साची मानवामां जरा संदेह रहे छे. जो प्राचीन नगर सर्वथा नाश पामी गयुं होय अने नवेसर वसवा जेवी स्थिति उभी थइ होय त्यारे तो ते तरत ज वसवुं जोइये, अने जो मुसलमानोना हाथे पटलु बधुं नक्शान न थयुं होय के जेथी फन्नेि शहेर नवुं वसाववुं डे तो त्यार बाद साठ सित्तर वर्षमां ज एवं शुं कारण आत्री प युं हशे के मुसलमानोना हाथे जोखमायेल पाटणमां ६० वर्ष पर्यन्त रहोने फरिथी नागरिकोने नवुं पाटण वसाववुं पड्र्युं होय ? अमारा अनुमान प्रमाणे तो आधुनिक पाटण सं०१४२५ मां नहिं पण १३७० नी आसपासमा वसेल होवुं जोइये, ' कारण के पाटण भंगना घख नथी पाट मां बनतां जैन मंदिरो उंची चट्टान पर आवेलुं छे, लोको तेने 'राजमहल' कहे छे. बीजी पण प्रचुरण निशानीओ त्यां सेंकडो मले छे. १ वि.सं. १३७१ शत्रुंजयतीर्थना उद्धारक संघपाते देसल भने समरा साह पाटणम वसता हता, एटले ते समये पाटण हयात ज हतुं. -ला. भ. गांधी. ૩ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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