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________________ उदयन, बाहड, संपत्कर, वस्तुपाल, तेजपाल जेवा बाहोश मुसहोमोनी कार्यकुशलताथी उन्नतिना शिखरे चढेलु पाटण -गुजरातनुं राज्य कर्णवाघेलानी स्त्रीलंपटता अने माधव अने केशव जेवा झेरीली प्रकृतिना नागर कारभारियोना पापे एकवेला स्वर्गीय नगर बनेलं पाटण संवत् १३५६ ना वर्षमा अलाउद्दीनना सेनापति मलिक काफुरना हाथे जमीनदोस्त थ,एक वेला जे स्थले हजारो कोटिध्वज श्रेष्ठियोनी हवेलीओ शोभी रही हती, ते प्राचीन पाटणना स्थानमा आजे एक बे कुआ वावडी के बे च्यार प्राचीन मकानोना खंडहरो' सिवाय जंगली झाड अने घास उगेला नजरे पडे छे, जे स्थान लाखो मनुष्योनी वसतिथी रळीयामगुं हतुं ते आजे सियाळ अने वरु जेवां जंगली जानवरोनी लोलाभूमि बनी रह्यं छे ! नवू पाटण. मुसलमानोना हाथे नष्ट भ्रट थयेलु पाटण फरिथी क्यारे आबाद थयु तेनो चोकस समय क्यांह मलतो' नथी. १ प्राचीन पाटगना अवशेषो तरीके आजे 'राणकी वाव' अने 'दामोदर कुओ' ए बे मुख्य गगाय छे, एना संबंधमां लोकोमां कहेवत छे के-राणकी वाव ने दामोदर कुओ, जोयो नहि ते जीवतो मूओ.' ए सिवाय एक मोटुं मकाननू खंडेर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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