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________________ (२६) दूस० - अजी ! जलेबीवालेको इधर भेज देना ! (इतनेमें) एक गृहस्थ ०- ( मन्नालालजी सें) देखिये साहब ! आजके जेवनवार में पीरसनेका तो निहायत ही अच्छा इन्तजाम है ! मन्ना० - संपत्तिशालियोंके यहां भी इस प्रकार व्यवस्था न हो, तो और कहां होगी ? तीसरा० - इसमें गरीब और मालदारका तो कोई सवाल ही नहीं है ! सेवासमितिवालों का इन्तजाम है. यदि गरीब आ दमीभी सेवा समितिवालोंको आमंत्रण देवे, तो ये लोग उसके वहां जाकरभी इसी प्रकार सेवा बजावेंगे. परसोंके दिन धनराजजीके यहां भी इन लोगोंने निहायतही अच्छा इन्तजाम कियाथा ! (इतने में ) एक० - तरावट माल, जलेबी लीजिये जलेबी. एक० - राईता द्राखका राईता पाचक राईता. एक० - खोपरापाक चाहिये-साहब ! क्या खोपरापाक ? जब सब महानुभाव भोजन कर चुकते है, तब सेठ सा० प्रेसीडेन्ट सेवासमितिको बुलाकर कार्यकर्ताओंकी तारीफ करते है. प्रेसीडेन्ट सा० को सेवासमिति के तमाम मेम्बरोंके साथ बरात में चलने के लिये आग्रह करते है. प्रेसी० - ( सेठ सा० से ) यहतो आपको विहित है कि-समितिमें अधिकांश लोग व्यापारी है. अलावा इसके इस वक्त घरघरमें शादियां हो रही है. समितिके जो मेम्बरगण आपके रिश्तेदार हैं, वेतो आयेंगे ही. दिगरके लिये मैं उन्हें एकत्रित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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