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कर आपका निमंत्रण उनतक पहुचा दूंगा.
सेठ०-प्रेसीडन्ट साहब ! मेरा इरादा है कि-समितिके फंडमें इस ब्याहकी खुशीमें कुछ भेट दूं!
प्रेसी०-जैसी सेठसाहवकी आज्ञा. समिति तो आपहीकी है, और इसे निबाहना भी आपहीका कार्य है.
सेठ०-तो मैं रु. ५०१ समितिको भेट करता हुं. (इस बीचमें इंद्रमलजी पासही खड़े हुवे ये तमाम बातचीत मन रहे थे, अपनी शांतिका भंग करते हुवे)
इन्द्र०-सेठ साहब! आपके से लोग जो ५० हजार रूपे शादी में खर्च करना चाहते है, तवायफें ही जिनके यहांसे पांचहजार कीनोलीये बांध जावेगी उनके यहांसे सेवासमिति जैसी उच्च आदर्श संस्थाको रूपे ५०१ भेट तो शोभा नहीं देती है.
सेठ०-(प्रेसीडेंट की तरफ देखकर ) इस वक्त तो आप मेरी इस तुच्छ भेंटको स्वीकार कीजिये, शादी खत्म होनेपर मैं और आपकी सेवा बजाउँगा.
प्रेसीडेंट व वालंटीयर लोग रवाना हो जाते है. सेठसाहबभी भोजनगृहसें मय तमाम महमानोंके अपने मंडपगृहमें आजाते है.
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