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________________ यरोको दो विभागमें विभाजित कर देते है, और उनमें से पुरूकारी किस प्रकार-और क्या क्या वस्तु परुसने की हिदायत कर एक विभागको स्त्रीयोंकी तरफ व दूसरेको पुरूषोंकी ओर परूसनेको रवाना करदेते है. महमान लोग भोजन करने आते है और वालंटीयर तहे दिल से अपने फगजकी शर्तमें मशगुल हो पुरूष्कारी करते हैं. चारोंतरफ लड्डु-खुरमा-जलेबी-घेवरके परूसनेवालोंकी व मांगने वालोंकी आवाज गुंजायमान हो रही है. आगन्तुक लोग शाक, दाल और पकवानोंकी तारीफ करते है. एक०-लड्डु, साहब ! लड्डु. एक०-जलेबी, गरमा गरम जलेबी. एक०-खोपरापाक लिजीये. एक०-खुरमा ! साहब खुरमा. एक०-अजीसाहब ! घेवर ताजे घेवर. एक०-गरमागरम भुजियें. एक०-होठसे चोंट करे ऐसे सोंठ. एक०-कचोरी गरमागरम. एक०-सेव मसालेदार माल. एक०-अंबोरीये, साहब ! अंबोरीये. एक०-दार, चनेकी मसालेदार. एक०-चवले, मजेदार चवले. एक०-राईता, पाचक राईता. एकगृहस्थ०-घेवर, ईधर लाओजी घेवर. (घेवरवाला आता है) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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