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________________ पीछे ही कुंवर साहब आते तो आप दोनोही को 'साथ आये' एसा कहसकतें ? इन्द्र०-'साथ आये ऐसा तो नहीं कह सकते लेकिन पंडितजीके पीछे, के पीछे ही कुंवरसाहब आये ऐसा जरुर कहसकते. वकी०-इसीतरहासे मानो के दूजका क्षय है तो आपकी मान्यतानुसारतो एकम दूज साथ ही है न? इन्द्र०-जीहां साथ ही है. वकी०-सूर्योदयके वक्त एकम कितनी घड़ीयें रही और दूज कितनी घड़ीयें रही सो कहिये ? ___ इन्द्र०-दूजकी घड़ीयें तो एकमकी घड़ीयें खत्म होनेवाद आवेगी. और उदयवक्त तो एकम ही रहेगा. दूज कैसे रह सकती है ? वकी०-बस, तो कहीये कि-एकमकी समाप्ति होनेवाद दूज है, नकि एकम दूज साथ है. इन्द्र०-अच्छा, साथ नहीं कहेंगे, लेकिन सामिल कहेगें उसमें तो हरजा नही है न ? वकी०-क्यों नहीं ? सामिल भी नहीं. सबब एकमकी समाप्ति होने वादही दूज आती है. एक मकानको लालचंदजीने खाली करदिया कि पनालालजी उसमें रहने लगे, तो क्या लालचंदजी पन्नालालजी शामिल है ऐसा आप कहेंगे? इन्द्र०-आपतो ऐसी बेसी बाते करके मुझे चकरमें डालतेहो ! अखीर हो तो वकीलन. ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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