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निमित्त ____समाधान--निमित्त नैमित्तिक संबंध में दोनों में ही अर्थात् निमित्त तथा नैमित्तिक में समान अवस्था होती है जैसे
(१) जितने अंश में ज्ञानावरण कर्म का आवरण होगा उतने ही अंश में जीव का ज्ञान नियम से ढका हुआ होगा । ज्ञानावरण कर्म का आवरण निमित्त है
और अनुकूल ज्ञान का होना ही नैमित्तिक है । ____ ( २ ) जितने अंश में मोहनीय कर्म का उदय होगा उतने ही अंश में आत्मा का चारित्र गुण नियम से विकारी होगा । मोहनीय कर्म निमित्त है और तद्रूप चारित्र गुण की विकारी अवस्था नैमित्तिक है।
(३) गतिनामा नाम कर्म का उदय होगा उसके अनुकूल आत्मा को उस गतिरूप अवस्था धारण करनी ही पडेगी । गतिनामा नामकर्म निमित्त है और तद्रूप आत्मा का उस गति रूप होना नैमित्तिक है।
(४) जितने अंश में रागादिक भाव अात्मा में होगा उतने ही अंशमें कार्माण वर्गणा को कर्मरूप अवस्था धारण करना ही पडेगा । आत्मा का रागादिक निमित्त है
और कार्माण वर्गणा का तद्रूप कर्मरूप अवस्था होना नैमित्तिक है।
(५) जितने अंश में आत्मा का प्रदेश हलन चलन
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