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नागरीप्रचारिणी पत्रिका लेने पर पिक शब्द का भी अर्थ लगा लेता है। 'मधुप कमल पर मॅडरा रहे हैं। इस वाक्य के 'मधुप' शब्द को कमल आदि शब्दों को समझनेवाला सहज ही लगा लेता है। इस प्रकार सिद्ध पदों की सन्निधि से बालक बहुत से शब्दों का संकेत-ज्ञान कर लेता है। इतने पर भी जो शब्द समझ में नहीं
आते उन्हें स्पष्ट करने के लिये वह विवृति की सहायता लेता है। व्याख्या देशी-विदेशी सभी भाषाओं के शब्द स्पष्ट कर देती है । यदि बालक रसाल शब्द नहीं समझता तो शिक्षक या तो रसाल के रूप-रंग की व्याख्या करके उसका अर्थ समझा देता है अथवा रसाल का ऐसा पर्यायवाची शब्द बताता है जो विद्यार्थी को पहले से ज्ञात हो। उसी भाषा में अथवा दूसरी परिचित भाषा में अनुवाद करके समझाने का ही नाम विवृति है।
विचार करने पर अन्य सभी संकेत के ग्राहक व्यवहार में अंतर्भूत हो जाते हैं। व्यवहार से बालक सभी शब्द सीख सकता व्यवहार संकेत-ग्राहकों
.. है; पर अपनी आँखों से देखने सुनने में बड़ा में प्रधान है
"समय लगता है। थोड़े वर्षों का छोटा सा
जीवन संसार की असंख्य वस्तुओं का कैसे अनुभव कर सकता है ? इसी से ऐसे उपायों से काम लेना पड़ता है जिनसे अधिक से अधिक शब्द कम से कम समय में सीखे जा सकें। कोष, व्याकरण, प्राप्तोपदेश, विवृति आदि सातो संकेत के ग्राहक ऐसे ही उपाय हैं । यद्यपि व्यवहार संकेत के ग्राहको'
(१) प्राजकल के शिक्षा शास्त्रीय शब्दों का प्रयोग करें तो व्यवहार को Direct Method और विवृति को Translation Method कह सकते हैं।
(२) देखो-मुक्कावली-शक्तियह व्याकरणोपमानकोषाप्तवाक्याद् व्यवहारतश्च । वाक्यस्य शेषाद् विवृतेवंदन्ति सानिध्यत: सिद्धपदस्थ वृद्धाः।
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