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________________ ५०६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका मैं ही हूँ । हम एक शरीर में दो प्राण हैं । यदि तू मुझे देखता है तो उसे देखता है और यदि उसे देखता है तो हम दोनों को देखता है । " हल्लाज के अध्यात्म' के संबंध में विचारने का यह अवसर नहीं । यहाँ तो इतना ही स्पष्ट करना उचित है कि हल्लाज 'हुलूल' का प्रतिपादक था । उसने देवलोक की उद्भावना की और 'लाहूत' एवं 'नासूत' - स्वर्ग एवं मर्त्य—का विवेचन किया। मंसूर ने इबलीस को मित्र भाव से देखा । उसकी दृष्टि में इबलीस ही अल्लाह का सच्चा भक्त है; क्योंकि अन्य फरिश्तों ने अल्लाह के आदेश पर आदम की उपासना की, पर इबलीस अपने प्रण पर टिका रहा और अनन्य भाव से उसने अल्लाह की आराधना की । मंसूर के प्रयत्न से मुहम्मद साहब को भी उत्कर्ष मिला । हल्लाज ने 'नूर मुहम्मदी को नबियों का उद्गम सिद्ध किया, 'अम्र' का पालन अनिवार्य 'माना; फिर भी मुसलिम उसके 'अनलहक' को न सह सके, उसको प्राणदंड का भागी सिद्ध कर दिया । मंसूर का वध 'रक्त- बीज' का बध था । मुल्लाओं का दंडविधान तसव्वुफ का खाद्य बन गया । उस समय सूफी मत के प्रसार का एकमात्र कारण अंतःकरण का प्रवाह ही नहीं था; मातजिलों के शमन तथा इसलाम की प्रतिष्ठा के लिये जिन बातों की आवश्यकता थी उनका भांडार बहुत कुछ सूफियों के हाथ में था । श्री इकबाल की तो धारणा ही है कि हल्लाज अपने 'अनल्हक ' से मात जिलों को चुनौती दे रहा था। 'कश्फ ३ की उद्भावना से ( ) The Idea of Personality in Sufiism p. 29-33. ( २ ) Six Lectures p. 134. ( ३ ) बिल्ला कैफ का तात्पर्य है किसी बात को बिना मीन-मेष के स्वीशार कर लेना । अहमद इब्न हंबल ने इस बात पर जोर दिया कि हमें कुरान के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034975
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1936
Total Pages134
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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