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भारतवर्ष की समाजिक स्थिति
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दयितसङ्गमभूषः ॥ - शिशुपाल वध, १०, ३३। प्रसति त्वयि वारुणीमदः प्रमदानामधुना विडम्बना । —कुमारसंभव, ४, १२ । ललितविभ्रमबन्धविचक्षणम्... पतिषु निर्विविशुर्मधुमङ्गनाः । —रघुवंश, ८, ३६ । रागकान्तनयनेषु नितान्तं विद्रुमारुणकपोल तत्तेषु । स्वर्गापि ददृशे वनितानां दर्पणेष्विव मुखेषु मदश्री: ॥ - किरातार्जुनीय, ६, ६३ ) अग्निमित्र की रानी इरावती मालविकाग्निमित्र नाटक में मद्यपानोपरांत अर्धविक्षिप्ता' सी दीखती है । रघुवंश में राजा अज की रानी इंदुमती राजा के मुख से मद्य अपने मुँह में लेती है । गणिकाएँ भी इसमें बहुत भाग लेती होंगी क्योंकि जब संभ्रांत महिलाओं का यह हाल है तब उनका इससे वंचित रहना तो सर्वथा असंभव था । अभिज्ञान शाकुंतल में नागरिक से उच्च पदाधिकारियों और साधारण पुलिस के सिपाहियों के मुक्त अभियुक्त से प्राप्त पुरस्कार के रुपए से मद्यपान का उल्लेख है । रघु की सारी सेना नारिकेल से तैयार किए आसव का पान करती है । हमें मद्यपान के प्याले ( चषक ), मार्गस्थ मद्य की दूकाने और आपानभूमियों के कई उल्लेख मिलते हैं । कालिदास के ग्रंथों में शराब के साधारणतया निम्नलिखित नाम आए हैं - मद्य, प्रसव, वारुणी, सुरा । सुरा का सौंदर्य लोगों को रक्तवर्ण और घूर्णित नेत्रों तथा पद पद पर निरर्थक शब्दों के उच्चारण में प्राप्त होता था । कुमारसंभव में शिव स्वयं मद्यपान करते हैं और पार्वती को भी कराते है ६ । दंपति का मद्य
( १ ) युक्तमदा इरावती -
मालविका०, ३ | ( २ ) कादम्बरीसखित्वमस्माकं प्रथम शोभितमिष्यते ।
( ३ ) रघु०, ४, ४२ । ( ४ ) अभि० शः कु०, ६ ।
- अभि० शाकुं०, ६, श्यातः ।
( ५ ) रघु०, ४, ४२ । (६) कुमार०, ८, ७७ ।
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