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खड़ी बोली के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति
३७७ संस्कृत से ही लिया होगा । संस्कृत जन साधारण की बोलचाल की भाषा रही हो या न रही हो, पर पढ़े-लिखे लोग तो उसे अवश्य बोलते थे ।
की छाप अच्छी
अत: प्राकृत पर संस्कृत के संख्यावाचक शब्दों तरह पड़ी है । इस प्रकार हम इस परिणाम पर पहुँचते हैं कि प्राकृत भाषा के संख्यावाचक शब्द पाली और संस्कृत दोनों भाषाओं के शब्दों के आधार पर बने होंगे ।
ऊपर कहा गया है कि आधुनिक आर्य भाषाओं के संख्यावाचक शब्द आश्चर्यजनक समानता रखते हैं । इस कथन की सत्यता का प्रमाण नीचे दिए हुए उदाहरणों से कुछ मिल जायगा । अवेस्ता की भाषा, पुरानी फारसी तथा आधुनिक फारसी के भी शब्द दिए जाते हैं जिनकी भारतीय भाषाओं के शब्दों के साथ समानता प्रकट करती है कि आर्यों के भारतवर्ष में आने से पहले ही उनकी भाषा में संस्कृत के संख्यावाचक शब्दों से मिलते-जुलते शब्द विद्यमान थे ।
of Sanskrit, just like the animists and other tribes that remained outside the Brahmanical civilization died away like waifs and strays. Thus, modern vernaculars as a whole are traceable to Prakrits and Prakrits to Classical Sanskrits and the last to the Vedic, the forms and the characteristic features, which are traceable in grand-parents instead of the parent being explicable as survivals from an earlier age instead of being taken as marks of direct immediate origin." Principal A. B. Dhuva. W. Philological Lectures, Bombay University; February, 1929.
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