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चिह्नांकित मुद्राएँ
३४३ रूप के परिवर्तन हैं। वे कभी गोल और कभी चौखूटे हैं। ऐसा निश्चय हो सकता है कि ये सब मौर्य कुल और उनके निकट के उत्तराधिकारियों के बनाए और चलाए हुए हैं।
मौर्यों के पूर्व के कुछ सिक्के बाबू साहब के संग्रह में कुछ और चिह्नांकित (Punch-marked) चाँदी के सिक्के हैं जिनकी आकृति टेढ़ी-मेढ़ो है, जो बनावट में पतले हैं और जिनमें पांच के बदले चार ही चिह्न हैं; किंतु वे इतने अच्छे और साफ नहीं हैं। वे एक ऐसे प्रकार के हैं जिसके विषय में अभी तक कहीं कुछ लिखा नहीं गया है। इनका वर्णन आगे चलकर होगा। पटना अजायबघर वाली गोलखपुर की मुद्राओं का वर्णन वेल्श साहब ने किया है। वे निस्संदेह मौर्यकाल के पूर्व की हैं (देखिए, बिहार ओरीसा रि० सो० का पत्र, जिल्द ५, १६१८)। लखनऊ म्यूजियम में भी विशेष प्रकार के चौड़े-पतले अनियमित
आकृति के चाँदी के चिह्नांकित सिक्के हैं जिनका अध्ययन अभी तक नहीं हुआ है। ये सब मौर्यकाल के पूर्व के जान पड़ते हैं।
ए वर्ग के सिक्के तीन-चार वर्ष हुए, चांदी के २४ चिह्नांकित सिक्के चौकोर टेढ़ी-मेढ़ो आकृति के, कोई कोई गोल, लखनऊ से प्राप्त किए गए थे। उनमें से १२ अभी तक उक्त संग्रह में हैं, और शेष परिवर्तन में दे दिए गए। इनकी प्राप्ति के स्थान का पता नहीं लग सका। ये सिक्के देखने में बहुत पुराने, घिसे और मिश्रित चाँदी के थे जिसमें ७५ भाग चाँदी और २५ भाग ताँबा तथा सीसे का नाम मात्र निशान मिला हुआ था। इन पर ३-४ भद्दे चिह्न गहरे अंकित किए हुए थे। इनका वजन ३७ से ४२ ग्रेन तक था। औसत वजन ४०.३ ग्रेन या २१४ रत्ती था। उनमें से एक गोल और बाकी चाकोर
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