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________________ ३४२ नागरीप्रचारिणी पत्रिका से प्रत्येक भिन्न प्रकार का है पर सूर्य और चक्र सबमें हैं, यद्यपि चक्र की आकृति प्रत्येक में बदली हुई है ( देखिए, चित्र ३ और ५, मुद्रा एन, ओ, क्यू)। बाकी का भेद चित्रों के अध्ययन से जान पड़ेगा। लखनऊ से प्राप्त एम-२ मुद्रा में चाँदो ८१.३ भाग और ताबा तथा अन्य अशुद्ध धातुएँ १८.७ भाग हैं। यह मिश्रण कुछ कुछ रावलपिंडो के डी वर्ग के सिक्को के समान है, केवल ८ भाग चाँदी अधिक है। एम-५ बनारसवाले सिक्के में चाँदी ७२८ भाग और ताँबा आदि २७२ भाग है। यह औरों से निराला है और बहुत खोटा सिक्का है। इलाहाबाद, दिल्ली, मथुरा, इंदौर, लाहोर और नागपुर के सिक्के एक एक ही हैं और इस कारण उनकी धातुओं की जाँच नहीं हुई। बी वर्ग का एक आधा कटा हुआ सिक्का अर्द्धपण का है। इसके सिवा अर्द्धपण नाम का भी एक सिक्का २५ ग्रेन ( करीब १२ रत्ती) का है जो चित्र ३ या ४ में एस अक्षर द्वारा बताया गया है । मालवा से भी एक पण मिला है जो ताँबे का है; किंतु उस पर चाँदी का पत्र चढ़ा है। दोनों में सूर्य और चक्र हैं। महावंश में कहा गया है कि कौटिल्य ने राजा का धन बढ़ाने के लिये चाँदी के पण के वजन के ताँबे के सिक्के बनाकर उनको गली हुई चाँदी में डुबोकर और उन पर चांदी के सिक्कों के चिह्न अंकित करके उनको चाँदी के सिक्कों की जगह चलाया था। उक्त बाबू साहब के पास का यह सिक्का घिस गया है किंतु उस पर अभी भी दोनों ओर और किनारों पर कई स्थानों में चाँदी लगी हुई है। ___ए वर्ग और एस वर्ग के सिक्कों को छोड़कर बाकी सिक्कों का अध्ययन करने से सिद्ध होता है कि ये सब मिश्रित धातुओं के सिक्के एक ही वंश के चलाए हैं। उन सब में कम से कम दो चित तो एक से ही हैं और बाकी के तीन चिह्न सबमें एक असल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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