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जेतवन
३१५ (३) जेतवन से उत्तर-पश्चिम ४ 'ली' (= १ मील से कम) था। दूरी और दिशाएँ इन पुरानी लिखंतों में शब्दश: नहीं ली जा सकतीं। इससे पुरैना का ध्वंस अंधवन मालूम होता है। यह भी टी से श्रावस्ती के आने के रास्ते में भी है, जिसे कि सर जान मार्शल ने काश्यप-स्तूप निश्चित किया है।
पांडपुर-श्रावस्तो के पास पांडुपुर नामक गांव था। धम्मपद-अट्ठकथा में "श्रावस्ती के अविदुर पांडुपुर नामक एक गाँव था। वहाँ एक केवट वास करता था।
इस गांव के बारे में इसके अतिरिक्त और कुछ मालूम नहीं है।
मैंने इन थोड़े से पृष्ठों में श्रावस्ती और उसके पास के बुद्धकालीन स्थानों पर विचार किया है। सुत्त, विनय और उसकी अट्ठकथाओं की सामग्री शायद ही कोई छूटी हो। यहाँ मुझे सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से ही विचार करना था, यद्यपि कहीं कहीं और बातें भी आ गई हैं२ ।
(१) A. S. I. R. 1910-11, P. 4.
(२) जेतवन के नकशों के लिये देखो Arch. Survey of India की १६०७-०८ और १९१०-११ की रिपोर्ट ।
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