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जेतवन ( कुल ) एक हजार गर्मों से सुशोभित...था। शास्ता ना मास चारिका चल के फिर श्रावस्तो पाए। विशाखा के प्रासाद में भी काम नौ मास में समाप्त हुआ। प्रासाद के कूट को ठोस साठ जलघड़े के बराबर लाल सुवर्ण से बनवाया। शास्ता जेतवन को जा रहे हैं, यह सुन ( विशाखा ने ) आगे जा, शास्ता को अपने विहार में लाकर...। उसकी एक सहायिका हजार मूल्यवाले एक वस्त्र को ले आकर-सहायिके! तेरे प्रासाद में मैं इस वस्त्र का फर्श बिछाना चाहती हूँ; बिछाने का स्थान मुझे बतलाओ! वह उससे कम मूल्यवाले वस्त्र को न देख रोती हुई खड़ी थी। तब आनंद स्थविर ने कहा-सोपान और पैर धोने के स्थान के बीच में पाद-पुंछन करके बिछा दो।...विहार की भूमि को खरीदने में नौ करोड़, विहार बनवाने में नौ, और विहार के उत्सव में नौ, इस प्रकार सब सत्ताईस करोड़ उसने बुद्ध-शासन में दान दिया। स्त्री होते, मिथ्या-दृष्टि के घर में बसती हुई का इस प्रकार का त्याग (और ) नहीं है।"
इससे मालूम होता है(६ ) पूर्वाराम मास में बना था। (१०) मोग्गलान बनाने में तत्त्वावधायक थे । (११) मकान बनवाने में खर्च कुल २७ करोड़।
(१२) यह दो-महला था। प्रत्येक तल में ५०० गर्भ थे। विनय में है__ "विशाखा' ...संघ के लिये आलिंद ( 3 बरामदा)-सहित, हस्तिनख प्रासाद बनवाना चाहती थी।"
इससे(१३) वह बरामदा सहित था। (१४) वह हस्तिनख प्रासाद था। (१) चुल्लवग्ग, सेनासनक्खधक ६, पृ० २६६ ।
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