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हिंदी काव्य में निर्गुण संप्रदाय परंतु वैष्णव प्रादोलन से भी परिस्थिति की सब प्रावश्यकताओं की पूर्ति न हुई। घटनाओं के प्रवाह ने जिन दो जातियों को
___ भारत में ला इकट्ठा किया, उनके बीच ५. सम्मिलन का आयोजन
" सार्वत्रिक विरोध था। विजेता और विजित में स्थिति का कुछ अंतर तो होता ही है, परंतु इन दोनों जातियों के बीच ऐसे धार्मिक विरोध भी थे जो विजेताओं को अधिकाधिक दुर्व्यवहार और अत्याचार करने की प्रेरणा करते थे। मुस्लिम विजय केवल मुस्लिम राजा की विजय न थी, बल्कि मुहम्मद की विजय भी थी। इस्लाम की सेना केवल अपने राजा के राज्य-विस्तार के उद्देश्य से नहीं लड़ रही थी, बल्कि 'दीन' के प्रसार के लिये भी। अतएव यह दो जातियों का ही युद्ध न था, दो धर्मो का युद्ध भी था। हिंदू मूर्तिपूजक था, मुसलमान मूर्ति-भंजक । हिंदू बहुदेववादी था पर मुसलमान के लिये एक अल्लाह को छोड़कर, मुहम्मद जिसका रसूल है, किसी दूसरे के सामने सिर झुकाना कुफ़ था, और कुफ़ के अपराधी काफ़िर की हत्या करना धार्मिक दृष्टि से अभिनंदनीय समझा जाता था, यहाँ तक कि हत्यारे को गाज़ी की उपाधि दी जाती थी। इस सम्मान के लिये प्रत्येक अहले-इस्लाम लालायित रहता रहा होगा। अतएव कोई आश्चर्य नहीं कि हिंदुओं पर मुसलमानों का अत्याचार उतार पर न था और न मुसलमानों के प्रति हिंदुओं की ही वह "घोर घृणा" कम हो रही थी, जिसके अल-बेरूनी को दर्शन हुए थे। इस प्रकार इन दो जातियों के बीच द्वेष का विस्तीर्ण समुद्र था जिसे पार करना अभी शेष था।
सौभाग्य से दोनों जातियों में ऐसे भी महामना थे जिनको यह अवस्था शोचनीय प्रतीत हुई। वे इस बात का अनुभव करते थे कि न तो मुसलमान इस देश से बाहर खदेड़े जा सकते हैं और न धर्म
(१) ई० प्र०-"मेडीवल इंडिया", पृ० १२ ।
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