________________
६ ) गोरा बादल की बात
[ लेखक - श्री मायाशंकर याज्ञिक, बी० ए०, प्रलीगढ़ ] श्रद्धेय रायबहादुर महामहोपाध्याय श्री गौरीशंकर हीराचंदजी श्रोझा ओझा ने नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भाग १३, अंक ४ में एक लेख कवि जटमल - कृत “गोरा बादल की बात" नामक पुस्तक पर प्रकाशित किया है । इस लेख में भाजी ने इस पुस्तक का आशय प्रकट करके ऐतिहासिक दृष्टि से उस पर विवेचना की है। मलिक मुहम्मद जायसी के पदमावत में भी गोरा बादल की वीरता का वर्णन है इसलिये काजी ने पदमावत और "गोरा बादल की बात" के कथानकों का मिलान करके उनमें जहाँ जहाँ भिन्नता है उसका भी दिग्दर्शन कराया है। जैसा कि ओझाजी ने लिखा है, गोरा बादल की वीरगाथा राजपूताने में घर घर बड़े प्रेम से गाई जाती है । ऐसी अवस्था में गाथा के कथानक में भिन्नता उत्पन्न हो जाना स्वाभाविक है। परंतु देखने में माता है कि कथानक की मुख्य मुख्य घटनाओं के वर्णन में भी भेद पाया जाता है । इसलिये यह कहना कठिन हो जाता है कि गाथा का मुख्य रूप क्या था । हमारे पास "पद्मनीचरित्र" नाम की एक प्राचीन हस्त लिखित पुस्तक है। इसमें भी गोरा बादल की वीरता का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में पाँच-छः बड़ी बड़ी घटनाओं को छोड़कर शेष सब में “पदमावत” तथा " गोरा बादल की बात" से अंतर है। पाठकों के मनोरंजनार्थ “पद्मनी-चरित्र” के कथानक की मुख्य मुख्य भिन्नताओं को हम इस लेख में दिखलाते हैं ।
"पद्मनी - चरित्र” की रचना मेवाड़ाधिपति हिंदूपति महाराणा जगतसिंहजी ( संवत् १६८५- १७०८ ) के समय में हुई थी। महा
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com