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विशाल भारत के इतिहास पर स्थूल दृष्टि १३६ जिस समय आर्य' लोग भारतवर्ष में आए, उन्हें द्रविड जाति का सामना करना पड़ा। आयों ने द्रविड़ों को नष्ट
भारतीय साम्राज्य. करना अपना धर्म नहीं समझा। इसके आदर्श की अन्य सम- विपरीत उन्होंने द्रविड़ों को अपने कालीन जातियों के में मिला लिया और दोनों के मेल से अादर्श से तुलना एक शक्तिशाली भारतीय जाति उत्पन्न हुई जिसने एक महती सभ्यता को जन्म दिया। इस जाति ने बड़े बड़े कार्य सिद्ध किए और संसार के इतिहास में अपना नाम अमर कर दिखाया। इसी अवसर में यहाँ पर बड़े बड़े युद्ध भी हुए और इस जाति ने अपने इन अनुभवों से आदर्श शिक्षाएँ ग्रहण की। उसने अनुभव किया कि युद्ध में सच्ची जीत उसी की है जिसने धर्म को नहीं छोड़ा, और यह कि शांति की स्थापना ही युद्ध का सच्चा फल होना चाहिए। इसी आदर्श को लेकर महाराज अशोक ने अपने धर्म-साम्राज्य अथवा विशाल भारत की स्थापना की।
परंतु अशोक के समकालीन अन्य देशों के राजाओं का आदर्श उपयुक्त आदर्श से भिन्न था । उदाहरणार्थ ई० पू० ५०० के लगभग ईरान के राजा डेरिस ने सार्वभौम राज्य स्थापित करने के अभिप्राय से मिस्र और मेसोपोटामिया के राज्यों को नष्ट किया। ईरान के इस साम्राज्यवाद की यूनान को भी चाट लगी और यूनान का प्रभाव रोम पर पड़ा। इधर
(१) प्रायः पाश्चात्य विद्वानों का एवं उनके एतद्देशीय अनुयायियों का मत है कि "आर्य" जाति-विशेष का नाम है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि यह मत निश्चय रूप से ठीक ही है, ऐसा कहना कठिन है।
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