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मेरी मेवाड़यात्रा
प्राचीन एवं अति पवित्र हैं। ऐसा पवित्र तीर्थ वर्षों से झघडेमें पड़ा है । और — दो बिल्ली तथा बंदर' की कहावत चरितार्थ हो रही है। इस तीर्थ के झघडेके लिये कमीशन बैठा था । कहा जाता है कि, कमीशन ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके दरबार के सामने पेश की है । परन्तु न मालुम किस कारणसे वह रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं होती। हम आशा करते हैं कि-उदयपुर के दयालु और धर्म प्रेमी महाराणाजी साहेब, जहाँ तक हो सके शीघ्र ही रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे, और इस तीर्थ को, आर्थिक दृष्टि से, लोगों की श्रद्धा की द्रष्टि से जो हानि हो रही है, उससे बचा लेंगे।
२-करेड़ा उदयपुर चितौड़ रेल्वे के करेड़ा स्टेशन से लगभग आधे या पौन मील दूर, सफेद पाषाण का, श्री पार्श्वनाथ भगवान् का एक सुविशाल और सुन्दर मन्दिर बना हुआ है । यह मन्दिर कब बना था इसके सम्बन्ध में कोई लेख नहीं प्राप्त होता। किन्तु इसकी बनावट को देखते हुए यह अनुमान किया जा सकता है, कि यह मन्दिर अत्यन्त प्राचीन है । इस मन्दिर का रंगमण्डप इतना अधिक विशाल और भब्य है, कि मेवाड़ के हमारे प्रवास में ऐसा रंग मण्डप कहीं भी नही दीख पड़ा । इस मन्दिर में से प्राप्त होने वाले शिलालेख, श्रीयुत पूरणचन्द्रजी नाहर ने लिये हैं। वे ग्यारहवीं शताब्दी से लगा
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