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मेवाड़ की जैन पंचतीर्थी पूजनेवालों पर अवलम्बित है । अस्तु। मेवाड की ऐसी हीनावस्था में भी आज वहाँ ऐसे अनेक स्थान मौजूद हैं, जो तीर्थस्थान के रूपमें प्रसिद्ध हैं। उन स्थानों में जाने पर, भव्यात्माओं को जिस तरह अपूर्व आहलाद होता है, उसी तरह खोन करनेवालों को अनेक प्रकार की ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है।
मेवाड़ में जिस तरह हिन्दुओं के पांच तीर्थ प्रसिद्ध हैं, उसी तरह जैनों के भी पांच तीर्थ हैं।
१-केशरियाजी ( ऋषभदेवनी )
उदयपुर से लगभग ४० मील दूर दक्षिण दिशा में स्थित केशरियाजी का तीर्थ विश्वविदित है । केशरियाजी का मन्दिर अत्यन्त भव्य बना हुआ है । मूर्ति मनोहर तथा चमत्कारिक है। मूर्ति की चमत्कारिता का ही यह परिणाम है, कि यहां श्वेताम्बर तथा दिगम्बर, ब्राह्मण एवं क्षत्रिय, बल्कि हलके वर्ण के लोग भी दर्शन-पूजन आदि के लिये आते हैं। केशरियाजी की मूर्ति का आकार श्वेताम्बर मान्यताके अनुसार है। सदैव से श्वेताम्बरों की ही तरफ से ध्वजादण्ड चढ़ाया जाता है। श्वेताम्बरों की मान्यता के अनुसार केशरियाजी पर केशर चढ़ाई जाती है। स्वर्गस्थ महाराणाजी श्री फतेहसिंहजी ने श्वेताम्बरों की मान्यता के अनुसार ही अपनी तरफ से साढ़े तीनलाख की आंगी चढ़ाई थी और श्वेताम्बरों के अनेक शिलालेख भी मिलते हैं। ये बातें स्पष्ट रूप से सिद्ध करती हैं कि तीर्थ श्वेताम्बरों का ही है । अस्तु । तीर्थ,
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