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उदयपुर की संस्थाएँ लगेंगे। यह अत्यन्त प्रसन्नता की वात है, कि उदयपुर की प्रसिद्ध जैन धर्मशाला, कि जिसके अधीन अनेक मन्दिर, पाठशालाएँ, कन्याशाला तथा अन्य अनेक कार्य चल रहे हैं, उस धर्मशाला को, उसके संचालक उदारचरित्र, शासनप्रेभी श्रीमान् शेठ रोशनलालजी चतुरने महासभा के साथ सम्बन्धित कर दिया है। आशा है कि इसी तरह अन्य मन्दिरों के संचालक एवं दूसरी संस्थाओं के कार्यकर्तागण, अपनेअपने हाथ के मन्दिर तथा अधीनस्थ संस्थाओं को महासभा के साथ सम्बन्धित करके, संघ का संगठन बल बढावेंगे और इस तरह अधिकाधिक शासनोन्नति करेंगे।
४-सरकारी संस्थाएँ। मेवाड़ एक इतिहासप्रसिद्ध, प्राचीन देश है। यह अनेक प्राचीन नगरों, पहाड़ों तथा पर्वतों से भरा हुआ प्रदेश है। अनेक ऐतिहासिक घटनाएँ इस देश में घट चुकी हैं । म्थान स्थान पर शिलालेख, प्राचीन सिक्के और पुरानी मूर्तियां आदि वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। सच पूछो तो यदि यह किसी इतिहासप्रेमी राजा का राज्य होता, तो उदयपुर शहर में एक जबरदस्त म्यूजियम मौजूद दीख पड़ता और हनारों विद्वान् , इतिहास प्रेमी तथा खोज करने वाले उस म्युजियम को देखने उदयपुर आते । इस प्रकार का कोई बड़ा-सा म्युजियम अथवा कोई आदर्श लायब्रेरी उदयपुर में नहीं है, फिर भी राज्य की तरफ से एक-दो ऐसे स्थान अवश्य ही बने हुए हैं कि जिनमें साधारण संग्रह ठीक किया गया कहा जासकता हैं। इनमें से एक है-विक्टोरिया म्यूजियम । इस म्यूजियम में भीलों
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