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भारतवर्ष में मेवाड़ का बेजोड स्थान
काँटे, पत्थर, पर्वत, राजदण्ड और चोरों का उपद्रव इन पाँच से मेवाड़ को प्रसिद्ध माना है ।
इसके अतिरिक्त, किसी दुःखी ह्रदयने, एक लम्बा कवित गाकर, मेवाड़ में प्रवेश करने का सब लोगों से निषेध किया है । उस लम्बे कवित के एक दो नमूने ये हैं:
मेवाड़े देशे
भूलेचूके, मत करियो परवेश |
नहिं आछो खाणो, बहु दुःख जाणो, राणाजी रे देश | "
" जव मक्की रोटा, उड़दज खोटा, खोटो खाय उजळ भगतारी, काळा पहिरे
हमेश | सौ नरनारी, वेश ।
देशे मत करियो
भूले― चूके, परवेश ॥
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मेवाडे
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" माथे पाघड़ियाँ, भैंसकी जडियाँ, कर्म ने बाँधे ताण । मन मांहे मोटा, घरमें टोटा, बांधे कान ॥
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झाडयाँ
" भागे पहेलां से, फोजां फाटे,
शसतर
मेवाडे
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मत
देशे
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बांधे विशेष | चूके
भूले
परवेश ॥
करियो
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