________________
करुणाजनक सच्ची घटनायें ।
[ 13
वर्ष के मां बाप हृदयविदारक रुदन कर रहे थे । फिर भी मरणभोज .. कराया गया और उसमें करीब ४०० आदमी जीमने आये ।
१४ - मरणभोज करानेवाली चक्की पीसती है- ग्वालियर राज्यके एक नगरमै ३० वर्षीय युवक १ ॥ वर्ष के बच्चे को और अपनी विधवाको छोड़कर मरा । गरीबी होनेपर भी पंचोंने मरणभोज कराया, ३०० अ.दमी जीमने आये । फलस्वरूप पंचोंद्वारा लूटी गई वह अनाथिनी चक्की पीसकर भी अधपेट खाना खाकर जीवन विता रही है।
१५ - शीलधर्म वेचना पड़ा-मालियर स्टेटके एक ग्राम में २५ वर्षीय युवककी मृत्यु हुई । शक्ति न होनेपर भी उसकी २० - वर्षीया विधवासे मरणभोज कराया गया । गहना और घर वेचकर
उसने नुक्ता किया । ५०० आदमी जीमने आये । वह बर्बाद हो गई । पेटकी गुजर होना भी कठिन होगई । लड्डू - मक्तोंने उसकी कोई खबर नहीं ली । आखिरकार वह किसी दूसरे आदमीके साथ हो ली ! पंचोंने उसे जातिसे अलग कर एक ठंडी सांस ली। वह बिचारी आज भी जैन समाज के निर्दयी पंचों को कोसती है।
१६ - माता पागल होगई - आगरा जिलेके एक पद्मावती पुरवाल कुटुम्बकी यह घटना है। एक युवककी तमाम पूंजी उसके पिता के मरणमोज में लगवा दीगई । जिससे उसे ५) महीने पर मज़दूरी करना पड़ी । इसी चिन्ता और दुःखमें वह घुल घुलकर मर गया । उसकी मां विक्षिप्त होकर पंचोंका गालियां देती थी कि इन लोगोंने मेरे जवान बेटेको बेमौत मार डाला ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com