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मरणमोज। ग्राममें एक मरणभोज होरहा था. सब जैन लोग जीमने बैठे थे, इतनेमें दैवयोगसे मृतव्यक्तिके दूसरे भाईकी भी आघात पहुंचनेसे मृत्यु होगई, मगर मरणभोजिया पंच लोग निश्चत होकर पत्तलोंपर डटे रहे और लड्डू उड़ाते रहे । यह है मानवताका लीलाम !
९-मृत बालककी लाश पर मरणभोज-मारवाड़ प्रान्तके एक ग्राममें एक ३५ वर्षीय युवककी मृत्यु होगई। उसकी विधवाने मरणभोन करनेकी शक्ति प्रगट की, मगर पंचलोग कब छोड़नेवाले थे। दो वर्ष बाद भी उस विधवासे मरणभोज कराया गया। इसी बीचमें मरणभोजके दिन हृदयको चीर देनेवाली एक दुःखद घटना घट गई। और वह यह थी कि उक्त विषवाका १२ वर्षका लड़का एकाएक बेहोश होकर जमीनपर गिर पड़ा और देखते ही देखते अनाथिनी माताको अथाह शोकसागरमें डाल अनंत निन्द्रामें मग्न होगया। उस समय उसकी विधवा माताकी क्या दशा हुई होगी सो उसे तो सहृदयी ही समझ सकते हैं। वह विचारी उस असह्य वेदनाको दवाये माथा कूट रही थी, किन्तु उधर निर्दयता और निर्लजताक अवतार मरणभोजिया लोग लड्डू गटक रहे थे। उस समय न शुद्धिका विचार था और न दयाका।
१०- एक भाईके मरणभोजमें दूसरेका मरणललितपुरसे कुछ मील दूर जहां गजरथ चल चुके हैं एक ग्राममें एक युवक भाई की मत्यु होगई। तेरहवें दिन मरणभोजकी तैयारियां होरही थीं, पूरियां बन चुकी थीं। दूसरी सामग्रीकी तैयारी होरही थी कि
अपने युवक भाईकी मृत्युके आघातसे दूसरे युवक माईकी भी मृत्यु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com