SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . मरणमोजके प्रान्तीय रिवाज । [४९ है जिसे सब स्त्रियां मिलकर तालबद्ध " राजिया" गाती हैं और चक्कर लगाती रहती हैं। गाने के साथ ही साथ वे सब स्त्रियां अपने दोनों हाथोंसे छाती ठोकती ( छाजिया लेती) जाती हैं। उनमें जो मृतव्यक्तिकी विधवा या निष्ट संबंधिनी स्त्रियां होती हैं वे तो इतने जोरसे छाती ठोकती है कि उनकी छ ती सूझ जाती है। किसीके तो खून भी निकलने लगता है। कुछ दिन हुये इसी प्रकार छाती कूटते कूटते शिकारपुर में एक वकील पत्नीका माण होगया था। यह छातीका कूटना और राजिया' गाना मात्र घरके दर्वाजे पर ही नहीं होता, किन्तु चौराहे पर और बीच मार्गमें जाकर भी इसी प्रकार निर्दयता पूर्वक छाती कूटी जाती है । जो जितने जोरसे छाती कूटती है वह उतनी ही अधिक दर्दमन्द मानी जाती है ! यदि सच पूछा जाय तो गुजरातको कलंकित करनेवाली यह सबसे मर्यकर एवं दयाजनक प्रथा है । यह शीघ्र ही बन्द होनेकी मावश्यक्ता है । इस सुधरे हुये प्रान्तमें इस मूर्खतापूर्ण प्रथाको देख कर मेरे माश्चर्य और दुःखका ठिकाना नहीं है । इस प्रकार रोने, छाती कूटने और राजिया गानेका का बहुत दिनों तक जारी रहता है। जब जब बाहरसे स्त्रियां मिलने या बैठने अथवा फेरे के लिये माती हैं तब तब यही विधि करना पड़ती है । न जाने गुजरातकी यह कलंकमय प्रथा कब मिटेगी ? सूरतमें मृतव्यक्ति को स्मशान ले जाते समय एक और भी भयंकर प्रथा है, जिसे सुनकर पाठको दिल दुखी हुये विना नहीं रहेगा। शबको स्मशानमें ले जाने वाले सभी लोग साधी दूर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034960
Book TitleMaran Bhoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherSinghai Moolchand Jain Munim
Publication Year1938
Total Pages122
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy