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मरणभोज। कि कुछ देशी राज्यों का ध्यान इस ओर गया है और उनने इस प्रकार कानून बनाये हैं।
(१) ग्वालियर स्टेट-मैंने तारीख २७ जून सन् १९३६ के ग्वालियर गज़टमें प्राट हुआ 'मुसविदा कानून नुक्ता' देखा था। वह किस रूपमें पाप्त हुआ सो तो मुझे मालूम नहीं, किन्तु उसका सारांश यह है कि-" चूंकि वफातके बाद या उसके सिलसिले में जो कौमी खाने कदीमी रिवाज़की बिना पर दिये जाते हैं और फिजलखर्ची की जाती है उस पर जब्त कायम किया जाये ताकि आवामकी तरफसे फिजूलखर्चीकी रोक हो और उनकी आर्थिक हालत सुधरे । इस लिये हुक्म फरमाया जाता है कि-नुक्तामें वह खाना शामिल है जो मृत व्यक्तिके उद्देश्यसे ( मौसर, तेरहवीं, चालीसवां ) दिया जाता है। हां, जिन्हें इस विषयमें धार्मिक विश्वास है उसकी रक्षाके लिये इस कानूनमें अपने खानदानके मधिकसे अधिक ५१ भादमियोंको जीमनेकी छूट रहेगी। मरणोपलक्षमें लान ( वर्तन आदि ) वांटना भी कानूनके खिलाफ होगा। इस कानूनका पालन करनेपर यदि कोई पंचायत किसी प्रकारकी धमकी दे, दबाव डाले, बहिष्कार करे या दंड देगी तो वह अपराधी ठहराई जायगी। तथा जो व्यक्ति इस कानूनका भंग करेगा उसे ५००) जुर्माना और एक सप्ताह तककी सजा होगी।
यदि ऐसा खिलाफ अमल कोई जाति या पंचायत करेगी तो उसका प्रत्येक मेम्बर अपराधी माना जायगा। किसी भी मनिष्ट्रटको इत्तला मिलनेपर कि कोई नुक्तादिकी तैयारी कर रहा है तो वह उसे
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