SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मरणभोज कैसे रुके ? इससे पाठक सूमझ सकेंगे कि श्री० चान्दूलालजीको मरणभोजसे कितनी घृणा है, और यह भान्दोलनका ही प्रभाव है। इसी प्रकार और भी कई श्रीमानोंने मान्दोलनसे प्रभावित होकर मरणभोज नहीं किया और मच्छी रकम दानमें दी है। अभी हाल ही साहू शांतिप्रसादजी जैन रोहतास इन्डस्ट्रीज़की माताजीका स्वर्गवास हुभा है। उनने मरणमोजादि न करके ५०००००) पांच लाख रुपयाका मादर्श दान किया है। पूनाके सेठ घोड़ीराम हीराचन्दजी जैनने अपनी माताजीका नुक्ता न करके ५०००) गरीबोंकी रक्षाके लिये दान किये हैं। जबलपुरके सुप्रसिद्ध श्रीमान स० सिंघई भोलानाथ रतनचंदजीका स्वर्गवास होनेपर मरणभोज नहीं किया गया, किन्तु ५००) दान किये गये। झांसीमें सिं० गुलाबचचंदजी जैनकी मामीका स्वर्गवास होगया । उनने मरणभोज न करके यथाशक्ति अच्छा दान किया है। इसी प्रकार और भी अनेक उदाहरण ऐसे हैं जिनसे ज्ञात होता है कि जनतापर आंदोलनका अच्छा प्रभाव पड़ रहा है। आन्दोलनका यह भी प्रभाव हुआ है कि यदि कोई हठपूर्वक रसोई बनाता भी है तो कई लोग उसके यहां जीमने नहीं जाते। कुछ ही समयकी बात है. कि जोधपुर में बद्रीनाथजी मूथाने अपनी माताजीका मरणभोज किया । ५०० लोगोंको भामंत्रण दिया। किन्तु उसमें २५० लोग ही संमिलित हुये । इसी प्रकार यदि सर्वत्र बहिष्कार किया जाय तो बहुत जल्दी सफलता मिल सकती है। मैंने अपने पितानीका मरणभोज नहीं किया। इससे मच्छा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034960
Book TitleMaran Bhoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherSinghai Moolchand Jain Munim
Publication Year1938
Total Pages122
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy