SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भीषण दृश्य न देखे जाते । क्यों न जिनवर सौम्य जगाते ॥ दारुण दृश्य भगा दो महावीर भगा दो भगा दो भगा दो म. जैन विभाजित होते जाते । नामो निशां मिटाते जाते ॥ जैनों में प्रेम बढा दो महावीर बढादो ३ महावीर पधारो ३॥ हितकर ज्ञान बतायो जिनवर । धर्म ही जग में सब से बढकर ॥ नूतन ज्योति जगादो महावीर जगादो ३ पधारो ३ महावीर ॥ पधारो पधारो महावीर अहिंसा का मन्त्र सुनादो महावीर ॥ भारत माता करे पुकार भारत माता करे पुकार विश्व एक हो । महावीर क्या करे पुकार विश्व प्रेम हो । जैन धर्म क्या कर पुकार विश्व एक हो । फूट करे क्या २ मनकार सम्प्रदाय हो । बच्चों तुम किसकी सन्तान महावीर की ॥ अप अप अहिंसा धर्म डाउन डाउन हिंसा धर्म ॥ मोरे मन मंदिर में आन बसो मोरे मन मंदिर में प्रान बसो भगवान । घण्टे और घडियाल नहीं है । सामग्री का थान नहीं है ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034946
Book TitleMahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy