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तो हमारा निर्वाह हो सके इत्यादि यह सुन महिपाल अपने सासरे गया आते हुवे बहेनोइजी को देख सालाजीने बहुत आगत स्वागत करी महिपालने अपना हाल सुनाके कहा कि आप अपने पिताजीसे अर्ज कर हमे द्रव्य सहायता दीरावे लडका अपना पितासे सब हाल कहा साहुकारने कहा कि खबरदार एक पैसाका भी हांकार मत्त भरना अगर अपुन लाख दो लाख देंगे तो भीइनोंके खरचाके आगे कोनसी गीनतीमें है फीर पीच्छा लेनेको क्या है इत्यादि श्रवण कर सालाजी वापिस आके बोलाकि बेनोइजी साब आपको नरूर मदद देनेका हमारा विचार था परन्तु क्या कीया जाय मुनि मजी तीजोरीकी चाबी अपनी साथमे लेगये वह आनेपर आपको हम कहला देंगे इत्यादि सफायोंकि बातें सुन बेनोइजी समज गये कि आज अपना रिन फीर गया है नहीतो यह ही लोग नौकोड द्रव्य दीयाथा इसी मोफीक दुसरा तीसरा चोथा लडका अपने सासरे गये परन्तु एक फुटी बदाम भी न मोली. वाह ! " कर्मराजा तेरी लीला" बाद अपने सगेसंबंधी या सेठजी जीनोपर महान् उपकार कीयाथा उनोके वहां भेजे खरची जीतने पैसे छेक एकदिनके भोजनकि सामग्री तक न मीली. सजनों! जीव राग द्वेष विषय कषायके लिये कर्म बन्धते समय यह विचार नही करता है कि मुने भविष्यमें इस कर्माका फल भोगवना पडेगा परन्तु जब यह कर्मोदय होते है तब सेठजीकी माफीक दशा होती है क्या सेठनी नगरीमे एकदिनके भोजनके भी योग्य नही थे? क्या उनोंके सगेंस. बन्धी पसे निष्ठुर हृदयवाले थे? परन्तु उनका क्या कसुर है कसुर है सेठजीके पूर्वोपार्जीत कोका इसे श्रवण कर कर्मबन्धके कारणोंसे सदेव वचते रहना ही सुखका कारण है यद्यपि सुर सुन्दरीके पास बहुमूल्य रत्न थे परन्तु वह समजतिथी कि इस बस्त हमारे काँका बहुत जोर है अगर वह लालो निकाली
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